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जब ईरान इस्फहान से इज़राइल की ओर कोई बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करता है, तो वह केवल एक निशाना नहीं साधता—वह पूरी दुनिया की सबसे उन्नत सैन्य सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देता है। उसकी राह में कई देश और अत्याधुनिक तकनीकें खड़ी हो जाती हैं, जिन्हें पार करना लगभग असंभव माना जाता है। लेकिन असंभव को मुमकिन बनाना ही शायद आज ईरान की सबसे बड़ी रणनीतिक जीत है।

1. पहला घेरा: अमेरिकी और फ्रांसीसी सैन्य ताकत

सबसे पहले यह मिसाइल इराक में मौजूद अमेरिकी सेना की निगरानी में आती है। फिर यूएई में तैनात फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमान तैयार हो जाते हैं, जिन्हें सऊदी अरब अपनी एयरस्पेस उपयोग करने की अनुमति देता है। इसके साथ ही खाड़ी में मौजूद अमेरिकी एयरक्राफ्ट करियर USS Carl Vinson और एडवांस्ड मिसाइल डेस्ट्रॉयर्स भी इसे ट्रैक करने लगते हैं।

2. दूसरा घेरा: जॉर्डन और साइप्रस से जवाबी कार्रवाई

अगर मिसाइल पहले घेरे को पार कर जाती है, तो जॉर्डन की वायुसेना और वहाँ तैनात अमेरिकी सैन्य बल सक्रिय हो जाते हैं। साथ ही, साइप्रस से उड़ान भरने वाले ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के Typhoon और F-35 लड़ाकू विमान इसे रोकने की कोशिश करते हैं।

3. तीसरा घेरा: इज़राइल का मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम

Arrow-3: अंतरिक्ष में 2000 किमी दूर से मिसाइल को इंटरसेप्ट करता है।

Arrow-2: वायुमंडल में 1500 से 500 किमी की दूरी पर प्रतिक्रिया देता है।

David’s Sling: 300 से 40 किमी की दूरी तक इंटरसेप्शन की कोशिश करता है।

Iron Dome: आखिरी रक्षा पंक्ति, जो 70 किमी से 4 किमी तक मिसाइल को मार गिराने का प्रयास करता है।

क्या किसी और देश के मिसाइल को इतने सुरक्षा घेरे पार करने पड़ते हैं?

यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि ईरान की ये मिसाइलें पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनी हैं—और इनका मुकाबला करने के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और इज़राइल को अपनी सबसे महंगी और आधुनिक सैन्य तकनीकों को झोंकना पड़ता है।

और हैरानी की बात यह है कि इतनी जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी, कभी-कभी ये ईरानी मिसाइलें अपने टारगेट तक पहुंचने में कामयाब हो जाती हैं।

ईरान की सबसे बड़ी ताकत: आत्मनिर्भरता और तकनीकी आत्मविश्वास

यह किसी एक मिसाइल की बात नहीं है—यह उस रणनीतिक संदेश की बात है जो पूरी दुनिया सुन रही है:
“हमारे पास दुनिया की सबसे महंगी तकनीकें नहीं हैं, लेकिन हमारे पास वह जज़्बा और इनोवेशन है जो सबसे मज़बूत सुरक्षा को भी चुनौती दे सकता है।”

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