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THE MUSLIM

Apple ने अपने यूज़र्स को बड़ी राहत देते हुए नया AppleCare One प्रोग्राम लॉन्च किया है। इस प्लान के तहत अब आपका iPhone, iPad, Mac या कोई और Apple डिवाइस टूट जाए या गिर जाए, तो आप

उसे बिना किसी टेंशन के फ्री में ठीक करवा सकते हैं – वो भी सिर्फ ₹1,700 प्रति महीने में!

💡 क्या है AppleCare One?

AppleCare One एक नया सब्सक्रिप्शन प्लान है जो यूज़र्स को एक ही प्लान में तीन डिवाइस तक की सुरक्षा देता है। अगर आप चाहें तो कुछ रुपये और जोड़कर ज्यादा डिवाइस भी कवर कर सकते हैं।

🔐 इसमें क्या-क्या मिलेगा?

एक्सीडेंटल डैमेज प्रोटेक्शन: यानी अगर फोन गिर जाए, स्क्रीन टूट जाए या पानी में गिर जाए – सब कुछ कवर होगा!

बैटरी रिप्लेसमेंट: बैटरी 80% से नीचे जाए तो फ्री में नई मिलेगी।

चोरी और गुम होने पर कवरेज: अब iPad और Apple Watch भी theft & loss कवरेज में शामिल हैं।

पुराने डिवाइस भी जुड़ेंगे: 4 साल पुराने डिवाइस (और 1 साल पुराने AirPods) भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं।

💸 कितनी कीमत?

₹1,700 प्रति महीना (लगभग $19.99) – तीन डिवाइस के लिए

हर अतिरिक्त डिवाइस के लिए ₹500 (लगभग $5.99) प्रति महीना अतिरिक्त

📍 कहां मिलेगा?

फिलहाल यह सेवा केवल अमेरिका में शुरू हुई है। भारत में इसे लाने की तैयारी चल रही है, लेकिन Apple ने अभी तक कोई ऑफिशियल डेट घोषित नहीं की है।

⚠️ किन बातों का रखें ध्यान?

सभी डिवाइस एक ही Apple ID से जुड़े होने चाहिए।

फैमिली शेयरिंग सपोर्ट नहीं करता।

यह प्लान केवल डिजिटल खरीदारी (online Apple ID के ज़रिए) से उपलब्ध है।

🗣️ Apple यूज़र्स के लिए ये किसी तोहफे से कम नहीं!

अगर आपके पास एक से ज़्यादा Apple डिवाइस हैं और आप उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता करते हैं, तो AppleCare One आपके लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। ना सिर्फ पैसे की बचत होगी, बल्कि बार-बार रिपेयरिंग की झंझट से भी छुटकारा मिलेगा।

आपका iPhone अब पहले से ज़्यादा सुरक्षित! AppleCare One के साथ – टूटे, गिरे या खो जाए – अब टेंशन फ्री रहें।

News

📍 अमरोहा, मुरादाबाद, सम्भल, बिजनौर, रामपुर समेत कई जिलों में आधी रात को उड़ते ड्रोन को लेकर लोगों में फैली चिंता के बीच प्रशासन ने दी स्पष्ट जानकारी।

हाल ही में इन जिलों के ग्रामीण और शहरी इलाकों में रात के समय आसमान में उड़ते ड्रोन देखे गए, जिसके चलते कई लोगों में डर और भ्रम की स्थिति बन गई। सोशल मीडिया पर अफवाहें भी फैलने लगीं कि ये ड्रोन किसी खुफिया मकसद से उड़ाए जा रहे हैं।

लेकिन अब प्रशासन ने स्थिति को स्पष्ट कर दिया है।

🗣️ एसडीएम (उप जिलाधिकारी) ने बताया:

इन ड्रोन को सुरक्षा और एरिया डॉमिनेशन के उद्देश्य से उड़ाया जा रहा है। जनता को डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए की जा रही है”

📌 क्या है एरिया डॉमिनेशन

यह एक रणनीति है जिसके तहत पुलिस या सुरक्षा एजेंसियां किसी क्षेत्र में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराती हैं ताकि अपराधों को रोका जा सके।

ड्रोन की मदद से ऊँचाई से निगरानी की जाती है, जिससे भीड़, संदिग्ध गतिविधियों और कानून तोड़ने वालों पर नजर रखी जा सके।

📣 जनता से अपील: प्रशासन ने नागरिकों से अपील की

है कि किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें। ड्रोन उड़ाना एक नियंत्रित और अधिकृत सुरक्षा उपाय है, जिसे राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की देखरेख में किया जा रहा है।

📢 यह ड्रोन किसी भी प्रकार की जासूसी या नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं उड़ाए जा रहे हैं, बल्कि आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं। अगर आपके इलाके में भी इस तरह की गतिविधि दिखे, तो घबराएं नहीं, यह प्रशासन का हिस्सा है।

FINANCE

नई दिल्ली – भारत की प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज CoinDCX पर 19 जुलाई 2025 की सुबह एक बड़ा साइबर हमला हुआ, जिसमें कंपनी के आंतरिक खातों से लगभग 378 करोड़ रुपये (लगभग 4.42 मिलियन डॉलर) की चोरी हो गई। यह घटना भारतीय समयानुसार सुबह 4 बजे के आसपास घटी, जब सुरक्षा टीमों ने एक संदिग्ध गतिविधि को ट्रैक किया।

CoinDCX ने अपने आधिकारिक बयान में साफ किया है कि इस हमले में किसी भी यूज़र के वॉलेट या फंड्स को नुकसान नहीं पहुंचा है। चोरी केवल कंपनी के इंटरनल ऑपरेशनल अकाउंट से हुई है।

कंपनी ने तेजी से एक्शन लेते हुए सभी सुरक्षा सिस्टम को अपडेट किया है और इस घटना की जांच के लिए CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) और अन्य साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया है।

CoinDCX ने हैकरों से फंड रिकवर करने के लिए भारत का सबसे बड़ा Crypto Recovery Bounty Program शुरू किया है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो चुराए गए फंड की जानकारी या रिकवरी में मदद करेगा, उसे 25% तक इनाम दिया जाएगा, जिसकी राशि करीब 94 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

🔐 कंपनी का वादा:

> “हम पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं औr हमारे सभी यूज़र्स के फंड्स पूरी तरह सुरक्षित हैं,” – CoinDCX प्रवक्ता।

मुख्य बिंदु:

❌ चोरी गए फंड: ₹378 करोड़ (कंपनी खाते से)

✅ यूज़र के फंड सुरक्षित

🛡️ जांच जारी – CERT-In के साथ मिलकर

🎯 Bug Bounty Program शुरू – 94 करोड़ का इनाम

Tech

जब हम “remote control” कहते हैं, तो आमतौर पर जॉयस्टिक या गियर की कल्पना होती है। लेकिन जापानी स्टार्टअप H2L ने इस परंपरा को पूरी तरह बदल दिया है। इनका नया Capsule Interface डिवाइस आपकी मांसपेशियों (muscles) के छोटे-से संकेतों को पकड़कर एक humanoid रोबोट तक पहुंचाता है—और वो सिर्फ आपकी हरकतें ही नहीं, बल्कि आपका exertion (कोशिश की ताकत) भी महसूस करता है। वितरित माहौल में एक अधिक immersive और शारीरिक अनुभव देता है ।

🔍 खासियतें और तकनीकी जादू

**मसल टेंशन सेंसर:**
यह प्रणाली खास सेंसर्स से लैस है जो आपकी मसल्स की सूक्ष्म गतिविधियों को भी पकड़कर real-time में ट्रांसलेट करते हैं ।

**भावनात्मक और फिजिकल एंगेजमेंट:**
सिर्फ मूवमेंट ट्रांसमिट नहीं, बल्कि उस मूवमेंट के पीछे की मेहनत और भावना भी ट्रांसफर होती है—जिससे हॉप्टिक अनुभव और immersion बढ़ती है ।

**आरामदेह उपयोग:**

इसे कुर्सी या बिस्तर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। भारी उपकरण या जटिल ट्रेनिंग की जरूरत नहीं—बस बैठिए और हल्की हरकत से रोबोट को नियंत्रित कीजिए

🤝 वास्तविक दुनिया में उपयोग

**दैनिक जीवन:**
बूढ़ों या शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिये रोबोट के जरिए घर में खाना बनाना, साफ‑सफाई करना संभव हो पाएगा ।

**डिलीवरी और लॉजिस्टिक:**
भरपूर शक्ति के साथ पैक उठाना या पदार्थों को हिलाना—सब कुछ दूर बैठे-बैठे उपलब्ध है, जिससे शरीर पर कम दबाव पड़ेगा ।

**खतरनाक क्षेत्र:**
आप ज्वालामुखी, रेडिएशन, भूकंप के खतरनाक इलाकों में रोबोट के ज़रिए सुरक्षा में रहकर काम कर सकते हैं ।

**खेती और दूरस्थ काम:**
किसान खेत में रोबोट का इस्तेमाल कर दूर बैठे-बैठे फसलों की देखभाल कर सकते हैं, जिससे लेबर की कमी भी पूरी हो सकती है ।

🛠️ आगे का ज़माना – Proprioceptive Feedback

H2L अगला बड़ा कदम उठा रहा है: भविष्य में यह तकनीक उपयोगकर्ता को proprioceptive feedback उपलब्ध कराएगी। इसका मतलब है, जब रोबोट कुछ उठाएगा, आपको उसकी “भार” या “सहनशीलता” महसूस होगी—जैसे वास्तविक रूप में हो रहा हो ।

📝 निष्कर्ष

H2L का Capsule Interface ना सिर्फ remote-control में क्रांति है बल्कि human-machine synergy का नया मुकाम भी है। धीरे-धीरे यह तकनीक business, healthcare, agriculture, disaster management और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में अपनाई जाएगी।

News

नई दिल्ली, 19 जुलाई, 2025 – एयर इंडिया की हालिया AI171 उड़ान दुर्घटना की जांच से संबंधित रिपोर्टों की कवरेज को लेकर दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया घरानों – रॉयटर्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल – को भारतीय पायलट संघों से कानूनी नोटिस मिले हैं। ये नोटिस इन मीडिया घरानों पर “चयनात्मक और असत्यापित रिपोर्टिंग” का आरोप लगाते हैं, जिससे पायलटों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा है और मृतकों के परिवारों को अनावश्यक परेशानी हुई है।

12 जून, 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, जिसमें 260 लोग मारे गए थे, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि विमान के इंजन के ईंधन नियंत्रण स्विच (fuel control switches) उड़ान भरने के तुरंत बाद ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले गए थे, जिससे दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि स्विच कैसे बंद हुए।

मीडिया कवरेज और पायलट संघों की प्रतिक्रिया:
वॉल स्ट्रीट जर्नल और रॉयटर्स सहित कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्टें प्रकाशित कीं, जिसमें कथित तौर पर कॉकपिट रिकॉर्डिंग का हवाला देते हुए सुझाव दिया गया कि दुर्घटना का कारण पायलट की गलती या कॉकपिट में भ्रम था, विशेष रूप से यह दावा किया गया कि कप्तान ने जानबूझकर ईंधन स्विच बंद कर दिए थे।
इन रिपोर्टों के जवाब में, फेडरेशन ऑफ इंडियन

पायलट्स (FIP) और अन्य पायलट संघों ने इन मीडिया घरानों को कानूनी नोटिस भेजे हैं। FIP के अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने पुष्टि की है कि नोटिस भेज दिए गए हैं और “चयनात्मक और असत्यापित रिपोर्टिंग” के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की गई है। पायलट संघों का तर्क है कि ये रिपोर्टें निराधार हैं

और बिना पुख्ता सबूतों के पायलटों पर दोष मढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टिंग “गैर-जिम्मेदाराना” है, खासकर जब जांच अभी जारी है।
AAIB और NTSB की टिप्पणी:

AAIB ने स्वयं अंतरराष्ट्रीय मीडिया से “चयनात्मक और असत्यापित रिपोर्टिंग” के प्रति संवेदनशीलता दिखाने और पीड़ितों के परिवारों का सम्मान करने का आग्रह किया है। उन्होंने जोर दिया है कि जांच अभी भी जारी है और किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) की अध्यक्ष जेनिफर होमंडी ने भी मीडिया रिपोर्टों को “समय से पहले और अटकलबाजी” बताया है।

एयर इंडिया के बयान और संचालन में बदलाव:
एयर इंडिया ने कहा है कि वह AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट प्राप्त कर चुका है और जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहा है। एयरलाइन ने AI171 त्रासदी से प्रभावित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त की है और समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

दुर्घटना के बाद, एयर इंडिया ने “सुरक्षा विराम” के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में आंशिक कटौती की थी। एयर इंडिया ने 15 जुलाई, 2025 को घोषणा की कि 1 अगस्त से कुछ आवृत्तियों की बहाली के साथ, जुलाई के सापेक्ष अनुसूचियों की आंशिक बहाली होगी, और पूर्ण बहाली 1 अक्टूबर, 2025 से करने की योजना है। इसमें अहमदाबाद-लंदन (हीथ्रो) के लिए नई सीधी उड़ानें और दिल्ली-लंदन (हीथ्रो), दिल्ली-ज्यूरिख, दिल्ली-टोक्यो (हानेडा), और दिल्ली-सियोल (इंचियोन) जैसे मार्गों पर उड़ानों की संख्या में वृद्धि शामिल है।
आगामी घटनाक्रम:

जांच अभी भी जारी है, और पायलट संघों ने मीडिया से अंतिम रिपोर्ट जारी होने तक किसी भी अटकलबाजी या दोषारोपण से बचने का आग्रह किया है। कानूनी नोटिस पर मीडिया घरानों की प्रतिक्रिया और AAIB की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।

E-commerce

हालिया रिपोर्टों के अनुसार,

लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक ने अपने अमेरिकी ई-कॉमर्स व्यवसाय को गति देने के लिए अमेज़ॅन के कई कर्मचारियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यह कदम टिकटॉक की वैश्विक विस्ताr रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, विशेषकर अमेरिका जैसे बड़े और प्रतिस्पर्धी बाजार में। हालांकि, ताजा घटनाक्रम बताते हैं कि कंपनी अब अपनी चीनी जड़ों की ओर वापस लौट रही है, जिससे उसके अमेरिकी परिचालन की दिशा पर सवाल खड़े हो गए हैं।
अमेज़ॅन से प्रतिभा का अधिग्रहण
टिकटॉक ने अपने अमेरिकी ई-कॉमर्स उद्यम,

‘शॉप’ (Shop) को लॉन्च करने के लिए अमेज़ॅन से भारी संख्या में भर्तियां कीं। अमेज़ॅन, ई-कॉमर्स की दुनिया में एक दिग्गज है, और उसके कर्मचारियों के पास इस क्षेत्र में गहन अनुभव और विशेषज्ञता है। टिकटॉक का मानना था कि इन अनुभवी पेशेवरों को नियुक्त करके, वे अमेरिकी बाजार में तेजी से अपनी पकड़ बना पाएंगे और अमेज़ॅन के स्थापित मॉडल से सीखकर अपनी रणनीति को आकार दे पाएंगे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, टिकटॉक ने अमेज़ॅन के “प्लेबुक” की नकल की। इसका मतलब है कि उन्होंने अमेज़ॅन की सफल ई-कॉमर्स रणनीतियों, प्रक्रियाओं और ढांचों का अध्ययन किया और उन्हें अपने सिस्टम में लागू करने का प्रयास किया। अमेज़ॅन के पूर्व कर्मचारियों की भर्ती ने इस प्रक्रिया को और भी सुगम बनाया, क्योंकि वे अमेज़ॅन की आंतरिक कार्यप्रणाली और व्यापारिक रहस्यों से परिचित थे। इन पूर्व कर्मचारियों को विशेष रूप से विक्रेताओं को आकर्षित करने और टिकटॉक की अमेरिकी रणनीति को तैयार करने में मदद करने के लिए नियुक्त किया गया था। इस प्रकार, टिकटॉक ने एक प्रकार से शॉर्टकट लेकर अमेरिकी ई-कॉमर्स बाजार में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की।

अमेरिकी परिचालन से चीनी नेतृत्व की ओर बदलाव
यह रणनीति कुछ समय तक चली, लेकिन हाल ही में टिकटॉक के आंतरिक ढांचे में बड़े बदलाव देखे गए हैं। छंटनी, पुनर्गठन और महत्वपूर्ण पदों से कई अधिकारियों के बाहर निकलने के बाद, कंपनी अब अमेरिकी नेतृत्व से शक्ति को चीनी नेताओं की ओर स्थानांतरित कर रही है। यह बदलाव कई कारणों से हो सकता है, जिनमें चीन में कंपनी के मूल संगठन बाइटडांस (ByteDance) का बढ़ता नियंत्रण, वैश्विक रणनीतियों का केंद्रीकरण, या अमेरिकी बाजार में अपेक्षित सफलता न मिलना शामिल है।

इस बदलाव का अमेरिकी परिचालन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी ई-कॉमर्स बाजार की अपनी विशिष्टताएं हैं, और स्थानीय नेतृत्व अक्सर इसे बेहतर तरीके से समझता है। चीनी नेतृत्व के हाथों में अधिक शक्ति का मतलब अमेरिकी बाजार की बारीकियों को समझने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, या फिर कंपनी की रणनीति चीन के दृष्टिकोण से अधिक प्रभावित हो सकती है। यह भी संभव है कि भू-राजनीतिक तनाव और डेटा सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं ने टिकटॉक को अपनी मूल कंपनी के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया हो।
संभावित निहितार्थ
इस रणनीतिक बदलाव के कई संभावित निहितार्थ हैं:

अमेरिकी बाजार में चुनौतियां: अमेरिकी ई-कॉमर्स बाजार अत्यंत प्रतिस्पर्धी है, जिसमें अमेज़ॅन, वॉलमार्ट और ईबे जैसे बड़े खिलाड़ी पहले से ही स्थापित हैं। यदि टिकटॉक का अमेरिकी परिचालन अब चीनी नेतृत्व के अधीन अधिक होगा, तो यह स्थानीय बाजार की आवश्यकताओं और उपभोक्ता व्यवहार को समझने में बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।

प्रतिभा पलायन: यदि अमेरिकी कर्मचारियों को यह महसूस होता है कि उनके पास निर्णय लेने की शक्ति कम हो रही है, तो प्रतिभाशाली कर्मचारी कंपनी छोड़कर जा सकते हैं, जिससे टिकटॉक की अमेरिकी टीम की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

सरकारी जांच: टिकटॉक पहले से ही अमेरिका में अपनी चीनी जड़ों और डेटा सुरक्षा प्रथाओं को लेकर जांच के दायरे में है। शक्ति का चीनी नेतृत्व की ओर स्थानांतरण इन चिंताओं को और बढ़ा सकता है, जिससे नियामक बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

वैश्विक रणनीति का संरेखण: यह कदम टिकटॉक की वैश्विक रणनीतियों को बाइटडांस के व्यापक उद्देश्यों के साथ संरेखित करने का एक प्रयास भी हो सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर एक अधिक सुसंगत परिचालन मॉडल बन सके।
निष्कर्ष

टिकटॉक का अमेज़ॅन से प्रतिभा का अधिग्रहण और उसके बाद अमेरिकी परिचालन से चीनी नेतृत्व की ओर शक्ति का स्थानांतरण, कंपनी की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं और चुनौतियों का एक दिलचस्प मामला प्रस्तुत करता है। यह देखना बाकी है कि यह रणनीतिक बदलाव टिकटॉक के अमेरिकी ई-कॉमर्स व्यवसाय के भविष्य को कैसे आकार देगा और क्या कंपनी अमेरिका में अपनी जगह बना पाएगी या अपनी चीनी जड़ों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगी। यह निश्चित रूप से वैश्विक प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसका प्रभाव आने वाले समय में स्पष्ट होगा।

News

यमन में भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई को होने वाली फांसी टल गई है, जिससे उनके परिवार, भारत सरकार और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने राहत की सांस ली है। इस मामले में दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई थीं। माना जा रहा है कि इस फैसले में भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिन्होंने यमन से फांसी रोकने का अनुरोध किया था।

ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर अहमद: एक संक्षिप्त परिचय
शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंठपुरम एपी अबू बकर मुसलियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं। वह भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के प्रमुख शख्सियतों में से एक हैं। उनका जन्म 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड में हुआ था।

24 फरवरी 2019 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गरीब नवाज शांति सम्मेलन में उन्हें अखिल भारतीय तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम द्वारा ग्रैंड मुफ्ती चुना गया था। यह पद उन्होंने जुलाई 2018 में नौवें ग्रैंड मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खान कादरी के निधन के बाद संभाला। अबू बकर इस पद पर आसीन होने वाले दक्षिण भारत के पहले मौलवी हैं।

ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका और सामाजिक योगदान
भारतीय ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका देश और दुनिया में महत्वपूर्ण मानी जाती है। वे फतवे जारी करने और धार्मिक व सामाजिक मामलों पर मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य करते हैं।

शेख अबू बकर शांति के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने 2014 में ISIS के खिलाफ शुरुआती फतवे जारी किए थे और भारत के विविध समाज में धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा दिया है। उन्होंने अरबी, उर्दू और मलयालम में 60 से अधिक किताबें लिखी हैं। इसके अतिरिक्त, वे 12,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों, 11,000 माध्यमिक विद्यालयों और 638 कॉलेजों सहित कई शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थानों का संचालन करते हैं।

उनके सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2021 में यूएई का गोल्डन वीजा, 2023 में मलेशिया का तोहक मॉल हिजरा पुरस्कार, और 2008 में सऊदी अरब का इस्लामिक हेरिटेज पुरस्कार शामिल हैं। अबू बकर ‘दुनिया के 500 प्रभावशाली मुस्लिमों’ की सूची में भी रह चुके हैं और उन्होंने कई वैश्विक सम्मेलनों में भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें पोप फ्रांसिस जैसी हस्तियों के साथ बैठकें और शेख जायद अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
निमिषा प्रिया मामले में आगे की राह

हालांकि निमिषा प्रिया की फांसी टल गई है, लेकिन अभी भी यह मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है। खबर है कि पीड़ित के परिवार वाले ब्लड मनी के लिए तैयार नहीं हैं, और उन्हें मनाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है।

News

मुंबई, भारत:

आज, 15 जुलाई, 2025 को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता Tesla भारत में अपना पहला शोरूम खोलने के लिए तैयार है, जो देश के ऑटोमोबाइल बाजार में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा। हालांकि, दुनिया की सबसे मूल्यवान इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी बनने का Tesla का सफर चुनौतियों और कड़े संघर्षों से भरा रहा है, जिसमें संस्थापक एलोन मस्क को भी व्यक्तिगत रूप से भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

शुरुआत के दिन:

दो इंजीनियरों का एक सपना

Tesla की नींव 1 जुलाई, 2003 को मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने रखी थी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर पृष्ठभूमि से आने वाले इन दोनों इंजीनियरों का सपना एक ऐसी स्पोर्ट्स कार बनाना था जो तेज़, खूबसूरत और पर्यावरण के अनुकूल हो, लेकिन पेट्रोल-डीजल से नहीं चले। लिथियम-आयन बैटरी की संभावनाओं से प्रेरित होकर, उन्होंने AC Propulsion के साथ मिलकर अपना पहला इलेक्ट्रिक प्रोटोटाइप बनाया, जिसने आगे चलकर आइकॉनिक ‘रोडस्टर’ का आधार तैयार किया।

एलोन मस्क की एंट्री और रोडस्टर का जन्म
2004 में, एलोन मस्क ने Tesla में $6.5 मिलियन (लगभग ₹56 करोड़) का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने। उस समय मस्क अपनी स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी पर भी काम कर रहे थे। इंजीनियर जेबी स्ट्रॉबेल ने मस्क को इलेक्ट्रिक कारों की क्षमता से परिचित कराया,

जिससे प्रभावित होकर मस्क ने AC Propulsion की T0 कार को व्यावसायिक रूप देने की कोशिश की। जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो वह मार्टिन एबरहार्ड से जुड़े और Tesla में शामिल हो गए।

मस्क के नेतृत्व में, Tesla की पहली कार, ‘रोडस्टर’, को लोटस एलिस चेसिस पर आधारित कर पांच प्रमुख बदलावों के साथ विकसित किया गया। इनमें दरवाजों का डिज़ाइन, चौड़ी सीटें, आधुनिक हेडलाइट्स, हल्की और मजबूत कार्बन फाइबर बॉडी और इलेक्ट्रिक डोर हैंडल शामिल थे, जो बाद में Tesla की पहचान बन गए। इन बदलावों से उत्पादन में देरी हुई और लागत बढ़ी, लेकिन रोडस्टर ने इलेक्ट्रिक क्रांति की शुरुआत के रूप में अपनी जगह बनाई।

2008 की मंदी और अस्तित्व का संकट
2008 में, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था भीषण मंदी की चपेट में थी, Tesla भी गहरे संकट में घिर गई। निवेश बंद हो गए थे और कंपनी अपने ग्राहकों से मिली अग्रिम राशि पर निर्भर थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे। मस्क के दोस्त और बोर्ड सदस्यों ने उन्हें Tesla या SpaceX में से किसी एक को चुनने की सलाह दी, लेकिन मस्क ने दृढ़ता से कहा कि अगर वह Tesla छोड़ देते हैं, तो दुनिया कभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों को गंभीरता से नहीं लेगी।

मस्क ने व्यक्तिगत रूप से कर्ज लिया और कंपनी को बचाने के लिए ग्राहकों की जमा राशि का इस्तेमाल किया। हालांकि, कुछ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन मस्क ने स्पष्ट कर दिया कि यह “या तो ऐसा करो, वरना हम खत्म हो जाएंगे” जैसी स्थिति थी। सितंबर 2008 तक तनाव इतना बढ़ गया कि मस्क रात भर बेचैन रहते, हाथ-पैर हिलाते और चिल्लाते थे। उनकी तत्कालीन प्रेमिका तालुला रिले ने बताया कि उन्हें डर था कि मस्क को दिल का दौरा पड़ सकता है। आखिरकार, $20 मिलियन की फंडिंग के ज़रिए मस्क कंपनी को डूबने से बचाने में कामयाब रहे।
ईवी क्रांति के अग्रदूत

2008 में रोडस्टर के लॉन्च के साथ, Tesla ने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कारों में एक नया मानक स्थापित किया, जो 4 सेकंड में 0 से 60 मील प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकती थी। हॉलीवुड के दिग्गज जैसे अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर और जॉर्ज क्लूनी इसके पहले ग्राहक बने। Tesla ने न केवल उच्च प्रदर्शन वाली इलेक्ट्रिक कारें बनाईं, बल्कि ऑटोपायलट तकनीक, सुपरचार्जर नेटवर्क और बैटरी इनोवेशन के साथ पूरे उद्योग की दिशा बदल दी।
Tesla के असली संस्थापक: एक अनसुलझा विवाद
Tesla के असली संस्थापक को लेकर हमेशा से एक बहस रही है। मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने कंपनी की स्थापना की थी। इयान राइट शुरुआती टीम का हिस्सा थे लेकिन 2005 में अलग हो गए। एलोन

मस्क 2004 में एक निवेशक के रूप में आए और धीरे-धीरे सीईओ बन गए, जबकि जेबी स्ट्रॉबेल तकनीकी संस्थापक और लंबे समय तक सीटीओ (CTO) रहे।
2009 में, एबरहार्ड ने मस्क पर मुकदमा दायर किया, लेकिन बाद में एक समझौता हुआ। समझौते के तहत, यह तय किया गया कि एलोन मस्क, मार्टिन एबरहार्ड, मार्क टारपेनिंग, इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल – इन पांचों को Tesla के सह-संस्थापक कहा जा सकता है।

Tesla का भारत में आगमन, एक ऐसी कंपनी के सफर का प्रमाण है जिसने न केवल तकनीकी सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि अनगिनत मुश्किलों और व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। यह कहानी सिर्फ एक इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी की नहीं, बल्कि दूरदृष्टि, दृढ़ता और नवाचार की शक्ति की भी है

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भारत अब इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए, देश के भीतर ही उच्च-तकनीकी वस्तुओं का निर्माण कर रहा है। यह

बदलाव न केवल iPhones, स्मार्ट टीवी और माइक्रोवेव ओवन तक सीमित है, बल्कि इसमें रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर, कॉफी बनाने वाली मशीनें, बिल्ट-इन रेफ्रिजरेटर और एयर फ्रायर जैसे पहले आयात किए जाने वाले कई अन्य उत्पाद भी शामिल हैं।

सरकार के सक्रिय समर्थन और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन के कारण यह परिवर्तन संभव हुआ है। अब, इन उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से अनिवार्य प्रमाणन प्राप्त करना होगा, जो गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करेगा।

यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने और चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा। इस बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

भारत अब केवल उपभोग करने वाला नहीं, बल्कि अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्माता भी बन रहा है, जिससे ‘ड्रैगन’ की दादागिरी को सीधी चुनौती मिल रही है।

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गुरुग्राम के वजीराबाद इलाके से आई एक खबर ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 10 जुलाई 2025 की सुबह, 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या उसके अपने ही घर में हो गई। और इस वारदात में मुख्य आरोपी कोई और नहीं, बल्कि राधिका का अपना पिता दीपक यादव है।

पुलिस के मुताबिक, सुबह करीब 10:30 बजे घर के किचन में राधिका को तीन गोलियां मारी गईं। पड़ोसियों ने पहले तो सोचा कि शायद गैस या कुकर फटा है, लेकिन सच्चाई सामने आने पर सभी सन्न रह गए। राधिका के चाचा कुलदीप यादव उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पुलिस पूछताछ में दीपक यादव ने कबूल कर लिया कि उसने ही अपनी बेटी की हत्या की। मगर सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?

राधिका कोई आम लड़की नहीं थी। एक सफल टेनिस खिलाड़ी, जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान थी। उसने खुद की एकेडमी भी शुरू की थी। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर उसकी सक्रियता, दोस्तों के साथ तस्वीरें और वीडियो, म्यूजिक वीडियो में उसका काम करना—ये सब बातें उसके परिवार को खटक रही थीं।

पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि राधिका के पिता को यह बात परेशान करती थी कि समाज उसे ‘बेटी की कमाई पर जीने वाला’ कह रहा था। इसी तनाव ने आखिरकार एक भयावह मोड़ ले लिया।

इस पूरे मामले में कई अनसुलझे पहलू भी हैं। जैसे घटना के वक्त राधिका की मां कहां थी? चाचा और मां दोनों के बयानों में अंतर आ रहा है। राधिका का भाई धीरज भी उस समय घर पर नहीं था। उसकी लोकेशन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

पुलिस फिलहाल हर पहलू से जांच कर रही है।

लेकिन इस घटना ने एक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है:
क्या समाज में बेटियों की सफलता आज भी परिवारों में तनाव का कारण बनती है?
क्या सोशल मीडिया की दुनिया हमारे रिश्तों को इतना कमजोर बना रही है कि घर की चारदीवारी के भीतर ही खून बहने लगे?

राधिका की कहानी एक चेतावनी है कि अगर हम अपनी सोच नहीं बदलेंगे, तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी।

बेटियां सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, परिवार की शान होती हैं। यह बात समझने का वक्त आ गया है।