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उत्तर प्रदेश के हापुड़ से एक दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालने वाले अनवर नामक व्यक्ति अपनी पांच वर्षीय बेटी को गंभीर हालत में लेकर हापुड़ के सरस्वती मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। मासूम बच्ची की हालत नाजुक थी और उसे तुरंत इलाज की ज़रूरत थी। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इलाज शुरू करने से पहले 20,000 रुपये एडवांस जमा करने की मांग की।

पिता अनवर ने बताया कि उसके पास उस समय केवल 500 रुपये थे। वह डॉक्टरों और स्टाफ से हाथ जोड़कर विनती करता रहा कि उसकी बेटी की हालत बेहद खराब है, कृपया इलाज शुरू करें, बाकी पैसों की व्यवस्था वह जल्द कर देगा। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों का रवैया अमानवीय रहा। उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया — “पहले पैसे जमा करो, तभी इलाज होगा।”

इसी खींचतान में वक़्त निकलता गया और मासूम बच्ची की सांसें थम गईं। पिता की आंखों के सामने उसकी बेटी ने दम तोड़ दिया।

यह घटना न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार करती है। क्या एक गरीब की जिंदगी की कीमत आज भी सिर्फ पैसा है?

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