image_editor_output_image773089748-1755075111923 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image-1386118003-1755010221985 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image1238227552-1754886037048 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image1090577405-1754726120168 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
file_000000005b6061f984d117d95771c8f1 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image-129420540-1754112408641 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image-561597129-1753632450082 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image-1908284001-1753380292572 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image1078546703-1753152087267 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
file_00000000d59c61faa6bf73e8b3e831ea इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
0_b6PUB_P9FdBtoqZv इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?
image_editor_output_image1592004961-1752752366434 इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?

इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?

इज़राइल द्वारा ग़ाज़ा, लेबनान और ईरान में अस्पतालों पर हमले: मानवता के विरुद्ध अपराध?

पिछले 600 दिनों में, इज़राइल ने मध्य पूर्व के संवेदनशील क्षेत्रों — ग़ाज़ा पट्टी, लेबनान और ईरान — में कई ऐसे सैन्य अभियान चलाए हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों और जिनेवा संधियों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन हमलों का मुख्य निशाना स्वास्थ्य संस्थान, विशेषकर अस्पताल, बने हैं। विश्वस्त स्रोतों और मानवीय संगठनों के अनुसार, इस अवधि में कुल 79 अस्पतालों पर हमले किए गए, जिससे न सिर्फ चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुईं, बल्कि सैकड़ों डॉक्टर, नर्स और मरीजों की जान भी गई।

नागरिकों पर बर्बरता और नरसंहार

इज़राइल द्वारा की गई यह सैन्य कार्रवाई सिर्फ बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं रही। इन हमलों में हजारों निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल हैं, को जान से हाथ धोना पड़ा। बमबारी और मिसाइल हमलों से प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। यह स्थिति युद्ध के बजाय नरसंहार जैसी प्रतीत होती है, जिसकी आलोचना अब वैश्विक मंचों पर भी हो रही है।

क्या इन हमलों को आत्मरक्षा कहा जा सकता है?

इज़राइली सरकार द्वारा इन हमलों को “आत्मरक्षा” और “आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई” करार दिया जाता रहा है। लेकिन जब कोई देश बार-बार नागरिक ठिकानों और अस्पतालों को निशाना बनाता है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है: क्या यह आत्मरक्षा है या संगठित हिंसा?

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों जैसे कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी इन कार्रवाइयों की निंदा करते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

इस प्रकार की त्रासदियों के सामने आने के बावजूद वैश्विक शक्तियाँ अक्सर चुप्पी साधे रहती हैं या केवल बयानबाज़ी तक सीमित रहती हैं। आवश्यकता इस बात की है कि संयुक्त राष्ट्र, आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय) और अन्य वैश्विक संस्थाएं इस विषय में सक्रिय हस्तक्षेप करें ताकि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

निष्कर्ष:
स्वास्थ्य संस्थानों और आम नागरिकों पर हमले केवल एक देश की संप्रभुता का मामला नहीं होते, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए एक चेतावनी हैं। इस तरह की घटनाओं को नज़रअंदाज़ करना आने वाली पीढ़ियों के लिए एक खतरनाक उदाहरण पेश करेगा।

Post Comment

You May Have Missed