📰 इटावा जातिगत अत्याचार कांड: “जात है कि जाती ही नहीं!”
📍 स्थान: इटावा, up
✍️ रिपोर्ट: स्वतंत्र संवाददाता 🔴 घटना का सारांश:
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक दिल दहला देने वाली जातिगत हिंसा की घटना सामने आई है, जिसमें संत राम यादव, एक सामाजिक कार्यकर्ता और साधु, को न सिर्फ मंदिर से बाहर निकाल दिया गया बल्कि उनके साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न भी किया गया।
सबसे अमानवीय पहलू यह था कि उन्हें “अपवित्र” कहकर उन पर मूत्र (पेशाब) फेंका गया। यह कृत्य कथित रूप से मुकुट मणि सिंह और उनके साथियों द्वारा अंजाम दिया गया, जो कथित रूप से ऊंची जाति से संबंधित हैं।
👁️🗨️ क्या हुआ था घटना में?
1. संत राम यादव एक स्थानीय मंदिर में पूजा करने पहुंचे थे।
2. वहां मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें जाति के आधार पर रोका और “अपवित्र” कहा।
3. विवाद बढ़ा और मारपीट की स्थिति बन गई।
4. आरोप है कि एक महिला को मूत्र लाने के लिए कहा गया, जिसे पीड़ित पर छिड़क दिया गया।
5. उन्होंने कहा —
> “अब तू पवित्र हो गया, अब ब्रह्माण्ड का मूत्र पड़ गया है।”
यह अमानवीय व्यवहार पूरे समाज के लिए एक करारा तमाचा है।
⚖️ कानूनी कार्यवाही और पुलिस की भूमिका
FIR दर्ज हो चुकी है, लेकिन शुरुआती जांच के बाद भी अब तक कोई ठोस गिरफ्तारी नहीं हुई है।
प्रशासन पर आरोप है कि वह जातिगत दबाव में कार्यवाही में ढिलाई बरत रहा है।
📹 मीडिया की भूमिका
🗣️ जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया:
ट्विटर पर #JusticeForSantRamYadav ट्रेंड करने लगा।
हजारों लोग और सामाजिक संगठनों ने न्याय की मांग की।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को मानवाधिकार हनन बताया।
📜 यह सिर्फ एक घटना नहीं है…
यह घटना दर्शाती है कि आज भी भारत के कई हिस्सों में जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं।
एक साधु पर इस प्रकार का अत्याचार यह दर्शाता है कि:
> जातिगत भेदभाव केवल सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक अपराध है।
🔚 निष्कर्ष:
> “जब तक जात के नाम पर अपमान होता रहेगा, भारत का लोकतंत्र अधूरा रहेगा।”
इटावा की यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की परीक्षा है, बल्कि हमारे समाज के जमीर की भी।