यमन में भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई को होने वाली फांसी टल गई है, जिससे उनके परिवार, भारत सरकार और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने राहत की सांस ली है। इस मामले में दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई थीं। माना जा रहा है कि इस फैसले में भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिन्होंने यमन से फांसी रोकने का अनुरोध किया था।
ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर अहमद: एक संक्षिप्त परिचय
शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंठपुरम एपी अबू बकर मुसलियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती हैं। वह भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के प्रमुख शख्सियतों में से एक हैं। उनका जन्म 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड में हुआ था।
24 फरवरी 2019 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गरीब नवाज शांति सम्मेलन में उन्हें अखिल भारतीय तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम द्वारा ग्रैंड मुफ्ती चुना गया था। यह पद उन्होंने जुलाई 2018 में नौवें ग्रैंड मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खान कादरी के निधन के बाद संभाला। अबू बकर इस पद पर आसीन होने वाले दक्षिण भारत के पहले मौलवी हैं।
ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका और सामाजिक योगदान
भारतीय ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका देश और दुनिया में महत्वपूर्ण मानी जाती है। वे फतवे जारी करने और धार्मिक व सामाजिक मामलों पर मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य करते हैं।
शेख अबू बकर शांति के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने 2014 में ISIS के खिलाफ शुरुआती फतवे जारी किए थे और भारत के विविध समाज में धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा दिया है। उन्होंने अरबी, उर्दू और मलयालम में 60 से अधिक किताबें लिखी हैं। इसके अतिरिक्त, वे 12,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों, 11,000 माध्यमिक विद्यालयों और 638 कॉलेजों सहित कई शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थानों का संचालन करते हैं।
उनके सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2021 में यूएई का गोल्डन वीजा, 2023 में मलेशिया का तोहक मॉल हिजरा पुरस्कार, और 2008 में सऊदी अरब का इस्लामिक हेरिटेज पुरस्कार शामिल हैं। अबू बकर ‘दुनिया के 500 प्रभावशाली मुस्लिमों’ की सूची में भी रह चुके हैं और उन्होंने कई वैश्विक सम्मेलनों में भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें पोप फ्रांसिस जैसी हस्तियों के साथ बैठकें और शेख जायद अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
निमिषा प्रिया मामले में आगे की राह
हालांकि निमिषा प्रिया की फांसी टल गई है, लेकिन अभी भी यह मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है। खबर है कि पीड़ित के परिवार वाले ब्लड मनी के लिए तैयार नहीं हैं, और उन्हें मनाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है।