मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में नगर निगम ने एक चार मंज़िला इमारत को विस्फोट कर गिरा दिया। यह मकान डॉ. इजहार मुंशी का था। नगर निगम का आरोप है कि मकान नक्शे के विपरीत बनाया गया था, इसलिए इसे गिराया गया।

वहीं, डॉ. इजहार मुंशी ने इस कार्रवाई को पूरी तरह गलत बताया है। उनका कहना है कि उनका मकान विधिवत रूप से नक्शा पास कराकर बनाया गया था। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम के कुछ अधिकारी ₹10 लाख की रिश्वत मांग रहे थे। उन्होंने पहले ही ₹5 लाख दे दिए थे, लेकिन जब शेष राशि नहीं दी, तो बदले की भावना से यह कार्रवाई की गई।

डॉ. इजहार ने यह भी बताया कि मामला अभी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है, बावजूद इसके नगर निगम ने बिना अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा किए ही इमारत को गिरा दिया।

यह मामला अब जनता और प्रशासन दोनों के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है — क्या यह कार्रवाई कानून के तहत थी या फिर यह रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज़ उठाने की सज़ा?

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