मुंबई, भारत:
आज, 15 जुलाई, 2025 को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता Tesla भारत में अपना पहला शोरूम खोलने के लिए तैयार है, जो देश के ऑटोमोबाइल बाजार में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा। हालांकि, दुनिया की सबसे मूल्यवान इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी बनने का Tesla का सफर चुनौतियों और कड़े संघर्षों से भरा रहा है, जिसमें संस्थापक एलोन मस्क को भी व्यक्तिगत रूप से भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
शुरुआत के दिन:
दो इंजीनियरों का एक सपना
Tesla की नींव 1 जुलाई, 2003 को मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने रखी थी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर पृष्ठभूमि से आने वाले इन दोनों इंजीनियरों का सपना एक ऐसी स्पोर्ट्स कार बनाना था जो तेज़, खूबसूरत और पर्यावरण के अनुकूल हो, लेकिन पेट्रोल-डीजल से नहीं चले। लिथियम-आयन बैटरी की संभावनाओं से प्रेरित होकर, उन्होंने AC Propulsion के साथ मिलकर अपना पहला इलेक्ट्रिक प्रोटोटाइप बनाया, जिसने आगे चलकर आइकॉनिक ‘रोडस्टर’ का आधार तैयार किया।
एलोन मस्क की एंट्री और रोडस्टर का जन्म
2004 में, एलोन मस्क ने Tesla में $6.5 मिलियन (लगभग ₹56 करोड़) का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बने। उस समय मस्क अपनी स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी पर भी काम कर रहे थे। इंजीनियर जेबी स्ट्रॉबेल ने मस्क को इलेक्ट्रिक कारों की क्षमता से परिचित कराया,
जिससे प्रभावित होकर मस्क ने AC Propulsion की T0 कार को व्यावसायिक रूप देने की कोशिश की। जब इसमें सफलता नहीं मिली, तो वह मार्टिन एबरहार्ड से जुड़े और Tesla में शामिल हो गए।
मस्क के नेतृत्व में, Tesla की पहली कार, ‘रोडस्टर’, को लोटस एलिस चेसिस पर आधारित कर पांच प्रमुख बदलावों के साथ विकसित किया गया। इनमें दरवाजों का डिज़ाइन, चौड़ी सीटें, आधुनिक हेडलाइट्स, हल्की और मजबूत कार्बन फाइबर बॉडी और इलेक्ट्रिक डोर हैंडल शामिल थे, जो बाद में Tesla की पहचान बन गए। इन बदलावों से उत्पादन में देरी हुई और लागत बढ़ी, लेकिन रोडस्टर ने इलेक्ट्रिक क्रांति की शुरुआत के रूप में अपनी जगह बनाई।
2008 की मंदी और अस्तित्व का संकट
2008 में, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था भीषण मंदी की चपेट में थी, Tesla भी गहरे संकट में घिर गई। निवेश बंद हो गए थे और कंपनी अपने ग्राहकों से मिली अग्रिम राशि पर निर्भर थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे। मस्क के दोस्त और बोर्ड सदस्यों ने उन्हें Tesla या SpaceX में से किसी एक को चुनने की सलाह दी, लेकिन मस्क ने दृढ़ता से कहा कि अगर वह Tesla छोड़ देते हैं, तो दुनिया कभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों को गंभीरता से नहीं लेगी।
मस्क ने व्यक्तिगत रूप से कर्ज लिया और कंपनी को बचाने के लिए ग्राहकों की जमा राशि का इस्तेमाल किया। हालांकि, कुछ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन मस्क ने स्पष्ट कर दिया कि यह “या तो ऐसा करो, वरना हम खत्म हो जाएंगे” जैसी स्थिति थी। सितंबर 2008 तक तनाव इतना बढ़ गया कि मस्क रात भर बेचैन रहते, हाथ-पैर हिलाते और चिल्लाते थे। उनकी तत्कालीन प्रेमिका तालुला रिले ने बताया कि उन्हें डर था कि मस्क को दिल का दौरा पड़ सकता है। आखिरकार, $20 मिलियन की फंडिंग के ज़रिए मस्क कंपनी को डूबने से बचाने में कामयाब रहे।
ईवी क्रांति के अग्रदूत
2008 में रोडस्टर के लॉन्च के साथ, Tesla ने इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कारों में एक नया मानक स्थापित किया, जो 4 सेकंड में 0 से 60 मील प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकती थी। हॉलीवुड के दिग्गज जैसे अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर और जॉर्ज क्लूनी इसके पहले ग्राहक बने। Tesla ने न केवल उच्च प्रदर्शन वाली इलेक्ट्रिक कारें बनाईं, बल्कि ऑटोपायलट तकनीक, सुपरचार्जर नेटवर्क और बैटरी इनोवेशन के साथ पूरे उद्योग की दिशा बदल दी।
Tesla के असली संस्थापक: एक अनसुलझा विवाद
Tesla के असली संस्थापक को लेकर हमेशा से एक बहस रही है। मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने कंपनी की स्थापना की थी। इयान राइट शुरुआती टीम का हिस्सा थे लेकिन 2005 में अलग हो गए। एलोन
मस्क 2004 में एक निवेशक के रूप में आए और धीरे-धीरे सीईओ बन गए, जबकि जेबी स्ट्रॉबेल तकनीकी संस्थापक और लंबे समय तक सीटीओ (CTO) रहे।
2009 में, एबरहार्ड ने मस्क पर मुकदमा दायर किया, लेकिन बाद में एक समझौता हुआ। समझौते के तहत, यह तय किया गया कि एलोन मस्क, मार्टिन एबरहार्ड, मार्क टारपेनिंग, इयान राइट और जेबी स्ट्रॉबेल – इन पांचों को Tesla के सह-संस्थापक कहा जा सकता है।
Tesla का भारत में आगमन, एक ऐसी कंपनी के सफर का प्रमाण है जिसने न केवल तकनीकी सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि अनगिनत मुश्किलों और व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। यह कहानी सिर्फ एक इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी की नहीं, बल्कि दूरदृष्टि, दृढ़ता और नवाचार की शक्ति की भी है